Friday, July 11, 2014

हर एक बाप भी जरूरी होता है

सुनो!
सुन सकते हो मेरी आवाज़ ?
आसान नहीं है सुन पाना

सुनो!
देख सकते हो तुम मेरी तरफ ?
आसन नहीं है देख पाना

सुनो!
बहुत आसान है सुनकर भी ना सुनना
देखकर भी ना देखना

अनसुना और अनदेखा करके
जब तुम गुजर जाते हो 
पास 
एकदम पास से
तब याद आता है
तुम्हारा पहला कदम
पहला स्वर
कान लगे रहते थे तुम्हारी हर हलचल पर
तुम पड़े रहते थे पालने में
आते जाते हर कोई हिला देता पालना
ताकि तुम्हें मिल सके सुकून की नींद

अब मुझे नींद नहीं आती
चल नहीं पाता एक कदम भी खुद से
बिना सहारे के
बिस्तर गीला हो जाता है अक्सर
क्योंकि गुजर जाते हो तुम
मेरी खाट के पास से 
सुनकर भी नहीं सुनते तुम
देखकर भी नहीं देखते तुम
मशरूफ रहते हो फोन पर
हंस कर जुमला उछालते हो
जरुरी बताते हो हर दोस्त को
मेरी आँखों में पानी तैरता है
मैं भी तो कभी
दोस्त था तुम्हारा

सुनो!
मैं जानता हूँ तुम नहीं सुनोगे
मैंने भी कहाँ सुना था
देखो !
मैं जानता हूँ तुम नहीं देखोगे
मैंने भी कहाँ देखा था अपने पिता को

सुनो! मैंने मूत दिया है खाट पर
बिना सहारे चल नहीं पाता  
इसलिए 
हाँ , इसीलिए मूत दिया मैंने
जैसे तुम मूता करते थे पालने में
रिश्तों पर मूतने का मन नहीं है मेरा
पर तुम्हें  पूरी आज़ादी है 
मुझ पर थूकने की
ना मैं सुन सका आवाज अपने पिता की
ना तुमने ही देखा देखकर भी

सुनो ! मेरे बच्चे!
हो सके तो बता देना सबको
बता देना कि
हर एक बाप भी जरूरी होता है  
डॉवागीश सारस्वत